सत्यप्रकाश पाण्डेय

राधे राधे बोल मानव जहां मरजी वहां डोल
नहीं व्यापेंगे जग बन्धन हिय कपाट तो खोल


जिस हृदय में बास है श्री राधे कुंजबिहारी का
कहां कष्ट है जग में दैहिक दैविक बीमारी का


सोते जगते जिव्हा जपती मोहन राधेरानी को
कौंन बखान करे भव में ऐसे नर की सानी को


हे माया व मायापति तुम्ही सत्य जीवन के साध
युगलछवि किंकर समझ क्षमा करियों अपराध।


युगलरूपाय नमो नमः🙏🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌺


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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