सत्यप्रकाश पाण्डेय

कैसे बचें


विश्व संक्रमण ग्रस्त हुआ,सब जगह दिखे प्रभाव।
कैसे बचें महामारी से,इसका न कोई बचाव।।


बढ़ रही दिनों दिन संख्या, रोग ग्रस्त इंसानों की।
ईजाद न कोई उपचार हुआ, आई सामत प्राणों की।।


गर चाहते हो बचें इससे,अलर्ट खुद को कीजिए।
शीतल वस्तुएं त्यागकर, गर्म काढ़ा औषधि पीजिए।।


अनर्गल न घर से निकलो,भीड़ भाड़ से दूर रहो।
स्वच्छता का ध्यान रखो,ताजगी से भरपूर रहो।।


दूरी बनाकर रखो तुम,इंसान या संक्रमित स्थान से।
मॉल सिनेमा बाजार त्यागो,वरना जाओगे जान से।।


जनता कर्फ्यू की पालना, लापरवाही को छोड़ दें।
रख सजगता थोड़ी सी, आओ दिशा हम मोड़ दें।।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...