आपका व्यक्तित्व।
क्या आप पढ लिख जाने के बाद
उस पढाई का सद्पयोग करते है।
क्या आप किसी बडे पद पर है।
और विनम्रता से रहते है।
क्या आपके मन मे किसी दिन दुखी व्यक्ति, पशु पक्षी के प्रति करूणा का भाव आता है।
क्या आप बात बात पर अंह ना लाकर चलो होगा, पर रहते है।
क्या आप तन से नही मन मस्तिष्क से अपने आप को स्वच्छ महसूस करते है।
क्या आप हमेशा सच का साथ देते है।
क्या आप ईमानदारी की कमाई ग्रहण करते है।
और क्या आपके मन मे ईषा और काम ,राग,और द्धेष की भावना नही है।
अगर उपरोक्त बाते आप मे है। तब आप स्वयं एक संत है। आपको फिर किसी अन्य बातो मे समय नष्ट नही करना है।
आप देव तुल्य है।
और यदि इसमे से एक दो भी अवगुण है तो तत्काल हटाने की कोशिश करे, समय कम है सांसो का साथ पता नही कब तक है। तो ईश्वर के सामने खडा होना है।
श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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