श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार

कोरोना।
तुम कुछ नही बिगाड सकती भारतीयो का।
तुम्हे मालुम नही यहां की देवी शक्तियो का।
तुम इट्ठलाकर चलना तो चाह.रही हो।
सामना नही कर  पाओगी,यहा की विभूतियो का।
आज तुम्हे पता नही शायद तुम चीन से हो।
या कही और किसी विदेशी धरातल से हो।
यह देव तुल्य देश है, यहा की रानी भारत मां है।
ऊसके आगे कोई न टीकता, है वे ऐसी कृतियो का।।
अनुपम यहां की रीत है, और  सबमे प्रीत है।
चाहे अलग रहते है धर्म, पर एक जीत है।
आज पूरे देश मे एक साथ एक दिन एक ही वक्त पर हो जायेगा हवन तो।
ऐसे ही मार तुझे देगे, ये देश है संस्कृतियों का ।
इसलिए अच्छा है कि तुम चली जाओ।
लौटकर कभी दोबारा यहां मत आओ।
जिंदगी मे ऊन्ही के आसपास रहना।
जो मेवा,सेवा ,छोडकर कुछ तो भी करते है।
और तुझ जैसी बीमारी सभी दूर फैलाते है।
देखोरीवाज आकर यहां की प्रकृतियो का।
श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...