कोरोना।
तुम कुछ नही बिगाड सकती भारतीयो का।
तुम्हे मालुम नही यहां की देवी शक्तियो का।
तुम इट्ठलाकर चलना तो चाह.रही हो।
सामना नही कर पाओगी,यहा की विभूतियो का।
आज तुम्हे पता नही शायद तुम चीन से हो।
या कही और किसी विदेशी धरातल से हो।
यह देव तुल्य देश है, यहा की रानी भारत मां है।
ऊसके आगे कोई न टीकता, है वे ऐसी कृतियो का।।
अनुपम यहां की रीत है, और सबमे प्रीत है।
चाहे अलग रहते है धर्म, पर एक जीत है।
आज पूरे देश मे एक साथ एक दिन एक ही वक्त पर हो जायेगा हवन तो।
ऐसे ही मार तुझे देगे, ये देश है संस्कृतियों का ।
इसलिए अच्छा है कि तुम चली जाओ।
लौटकर कभी दोबारा यहां मत आओ।
जिंदगी मे ऊन्ही के आसपास रहना।
जो मेवा,सेवा ,छोडकर कुछ तो भी करते है।
और तुझ जैसी बीमारी सभी दूर फैलाते है।
देखोरीवाज आकर यहां की प्रकृतियो का।
श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
श्रीमती ममता वैरागी तिरला धार
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