शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

निवेदन🙏🌹   गीत
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एक निवेदन प्रियजन सबसे,यदि चाहो तो स्वीकार करो।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।।


माना स्थिति हैै बहुत भयावह,
पर भयभीत नहीं होना हैै।
संयम और विवेक-बुद्धि से,
लड़ना, धैर्य नहीं खोना हैै।
हाथ-पैर,मुख का प्रक्षालन,
दिन में कई-कई बार करो।।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••


छूना और परस्पर मिलना,
यह नहीं प्रेम की परिभाषा।
ऐसा सुख तो मात्र सनक है,
यह कैसी मन की अभिलाषा?
तनिक दूर रहकर अपनों से,
आजीवन सच्चा प्यार करो।।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••••


कुत्सित करतूतों से मानव,
ईश्वर को आहत करते हो।
कोरोना सम गरल बनाकर,
अमिय-आस में बस मरते हो।
सौंप रही जब प्रकृति स्वयं सब,
तब सदा उचित व्यवहार करो।।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••


यमदूती विकराल आपदा,
प्राण सभी के निगल रही है।
मानव पर अधिकार जमाकर,
द्रुतगामी दुर्जेय दिखी है।
किंतु नहीं दुर्लभ जय होती,
यदि क्षमता का विस्तार करो।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••


अगर चाहते इष्टजनों के,
सदा 'अधर' पर मुस्कान रहे।
हृदय-विदारक पीड़ा सहकर,
अब और न कोई आह कहे।
जीवन-रक्षक निर्देशों को,
अपना लो मत प्रतिकार करो।
जननी-जन्मभूमि पर अपनी,जन-जीवन पर उपकार करो।।
एक निवेदन प्रियजन•••••••••••••


    शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'❤️✍️


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