गीत
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मापनी-16/16
रँग गयी श्याम के रंग नीर,
जीवन में जैसे होली है।
भावों में भक्ति भावना की,
मिसरी जी भर कर घोली है।
1
अभिशापित था जीवन कल तक,
आँसू नयनों से झरते थे।
छलनाओं के कारोबारी,
दिन -रात निडर हो छलते थे
घनश्याम कृपा से घर मेरे,
ख़ुशियों की उतरी डोली है।
रँग गयी श्याम के रंग नीर,
जीवन में जैसे होली है।
2
बंसी के स्वर अब मधुर- मधुर,
कानों में मधुरस घोल रहे।
झाँझर के नूपुर हुए मगन,
कंगन भी खन- खन बोल रहे।
केशव की चरण धूलि मेरे,
माथे का चंदन -रोली है।
रँग गयी श्याम के रंग नीर,
जीवन में जैसे होली है।
3
मन के आँगन की फुलवारी,
मुस्काई साँस सुवासित है ।
सानिध्य तुम्हारा पाने को ,
गोपालप्रिया संकल्पित है।
मष्तिष्क पटल पर बनी अमिट,
मनभावन भाव-रँगोली है।
रँग गयी श्याम के रंग नीर,
जीवन में जैसे होली है।
स्नेहलता'नीर'
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