कविता:-
*"अर्चना"*
"अर्चना-उपासना-अराधना-साधना,
ये सभी है साथी,-
भक्ति के सोपान।
भक्ति पथ पर चल कर ही ,
मिलता है साथी -
जीवन में ज्ञान।
पूजा-पाठ और सत्संग से ही,
मिटता साथी-
जीवन में छाया अज्ञान।
प्रभु भजन से ही जीवन में,
मिटता अंहकार साथी-
होता अपनत्व का संज्ञान।
प्रकृति की करे रक्षा जो,
चले सत्यपथ करें सद्कर्म-
मिले सुख सारे मिटे अज्ञान।
अर्चना-उपासना-अराधना-साधना,
ये सभी हैं साथी-
भक्ति के सोपान।।
ःःःः सुनील कुमार गुप्ता
16-03-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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