कविता:-
*"मेरा अधिकार"*
"मेरा अधिकार -मेरा अधिकार,
कहते रहे साथी-
जीवन भर।
कभी अपना कर्तव्य भी,
निभाते साथी-
होते नहीं उदास।
संग चलते जीवन पथ पर,
साथी साथी में-
बना रहता विश्वास।
अपने -अपने होते साथी,
अपनत्व की साथी-
बनी रहती आस।
अधिकार अपना कभी साथी,
छोड़े न जीवन में-
कर्तव्य से मुँह मोड़े न करें विश्वास।
आस्था विश्वास और सद् कर्मो से ही,
चलता जीवन-
साथी रखना विश्वास।।"
ः सुनील कुमार गुप्ता
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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