सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
       *"कर लो गुज़ारा"*
"विपत्ति का समय साथी,
रखो धैर्य-
कर लो गुज़ारा।
मत निकलो घर से, 
रह कर घर में-
कर लो गुज़ारा।
मिलना न अपनों से साथी गले,
न मिलाना हाथ-
दूर से कर लो गुज़ारा।
जीवन की खातिर अब तो,
बस दूरी बना कर रखना-
स्वच्छता संग कर लो गुज़ारा।
हारना नहीं हराना हैं -देश से,
कोरोना को-
कुछ दिन कर लो गुज़ारा।
सूखी रोटी खा कर भी ,
रहना घर में-
कुछ दिन कर लो गुज़ारा।
विपत्ति का समय साथी,
रखो धैर्य-
कर लो गुज़ारा।।
ःःःःःःःःःःःःःःःःः        सुनील कुमार गुप्ता
sunil       29-03-2020


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...