कविता:-
*"कर लो गुज़ारा"*
"विपत्ति का समय साथी,
रखो धैर्य-
कर लो गुज़ारा।
मत निकलो घर से,
रह कर घर में-
कर लो गुज़ारा।
मिलना न अपनों से साथी गले,
न मिलाना हाथ-
दूर से कर लो गुज़ारा।
जीवन की खातिर अब तो,
बस दूरी बना कर रखना-
स्वच्छता संग कर लो गुज़ारा।
हारना नहीं हराना हैं -देश से,
कोरोना को-
कुछ दिन कर लो गुज़ारा।
सूखी रोटी खा कर भी ,
रहना घर में-
कुछ दिन कर लो गुज़ारा।
विपत्ति का समय साथी,
रखो धैर्य-
कर लो गुज़ारा।।
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunil 29-03-2020
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