कविता:-
*"नारी-शक्ति"*
"असीम शक्ति से भरी है-नारी,
वो तो हर रूप में-
लगती हैं-प्यारी।
बिन नारी के तो जीवन अधूरा,
पग पग दिखती-
जीवन में लाचारी।
माँ की ममता और ममता का आँचल,
बिन नारी के-
माँ बिन जीवन की कहानी अधूरी।
अन्नपूर्णा बनकर हरती भूख प्यास,
देती स्वादिष्ट भोजन-
लगती वो तो प्यारी।
भूल जाते जीवन में पतझड़ की चुभन,
जब नारी बनती-
जीवन की सहचारी।
पत्नि बन देती वो तो,
सुख जीवन के सारे-
कितनी महान है-नारी।
रिश्तो की गरीमा भी,
नारी बिन-
जीवन की कहानी अधूरी।
बाँधे उम्मीद की डोर,
बिन नारी के-
होती नहीं पूरी।
असीम शक्ति से भरी है नारी,
वो तो हर रूप में-
लगती हैं-प्यारी।।"
ः सुनील कुमार गुप्त
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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