सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-
     *"तेरी दुनियाँ से"*
"तेरी दुनियाँ से अब,
साथी मेरा-
कोई नहीं वास्ता।
तुम मेरा अब तो साथी, 
रोको नहीं-
जीवन में रास्ता।
मेरी अपनी दुनियाँ,
खुश हूँ मैं साथी-
कस्मों से नहीं वास्ता।
भूल चुका हूँ मैं तो,
साथी बीते पल-
रोको न रास्ता।
सत्य पथ चल कर ही,
मिली हैं मंज़िल-
अब भटकाओं न रास्ता।
तेरी दुनियाँ से अब,
साथी मेरा-
कोई नहीं वास्ता।।"
ःःःः    सुनील कुमार गुप्ता


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