कविता:-
*"उपदेश"*
"देते रहे उपदेश वो तो साथी,
किया नहीं कोई काम-
करते रहे आराम।
मिल जाये सुख सारे जग मे,
कभी भजा नहीं -
प्रभु का नाम।
बैठे -बैठे देते रहे उपदेश,
बना कर संतो का-
छद्म वेष धर कर नाम।
मुँह में राम बगल में छुरी,
करा नहीं जीवन में-
कोई भला काम।
राम नाम की महिमा का,
करते रहे गुणगान-
पहचाना न किया कोई काम।
देते रहे उपदेश वो तो साथी,
किया नहीं कोई काम-
करते रहे आराम।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
14-03-2020
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