कविता:-
*"दिल की किताब"*
"दिल की किताब पर साथी,
लिख दिया -
बस एक नाम तेरा।
हर एक पल जो बीता,
संग तेरे साथी-
यादों में बसा मेरा।
पलको की छाँव में साथी,
तेरी बाहो में साथी-
बीते पल दर्ज़ दिल की किताब में मेरी।
मत खुलवाओं बंद पन्नों को,
बंद रहने दो दिल की किताब-
सह न पाओगे दर्द मेरा।
भूल जाओ कही- अनकही,
दिल से न लगाओं-
मत बनाने दो फसाना मेरा।
दिल की किताब पर साथी,
लिख दिया-
बस एक नाम तेरा।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःः
21-03-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनील कुमार गुप्ता
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