सुनीता असीम

चोट दिल पे तेरे पड़ी होगी।
जब रही हिज्र की घड़ी होगी।
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जिस वजह से अलग हुए हो तुम।
बात बेहद रही बड़ी होगी।
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जो अंगूठी पहन चुकी है वो।
वो नगों से रही जड़ी होगी।
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धड़कनें तब ठहर गई होंगी।
जब भी उनसे नज़र लड़ी होगी।
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दरमियाँ फासले हुए कैसे।
जोड़ती वो कड़ी -कड़ी होगी।
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 सुनीता असीम
२८/३/२०२०


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