सुनीता असीम

मुझे रास आने लगी जिंदगी।
मेरा दिल लुभाने लगी ज़िन्दगी।
***
इधर देखती औ उधर देखती।
नज़र क्यूँ चुराने लगी ज़िन्दगी।
***
जमाने में फैला करोना का डर।
खबर ये सुनाने लगी ज़िन्दगी।
***
बिमारी से कैसे बचे ये वतन।
शिफ़ा कुछ बताने लगी ज़िन्दगी।
***
करम जो खुदा का हुआ आपपर।
गगन पर बिठाने लगी ज़िन्दगी।
***
सुनीता असीम
12/3/2020


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