सुनीता असीम

तीरगी ऐसी भरी के हो सबेरा भी नहीं।
सोचती हूँ फिर यही इतना अंधेरा भी नहीं।
***
यूँ समझ ले कोई खुद फनकार अपने को यहाँ।
पर बड़ा भगवान से कोई चितेरा भी नहीं। 
***
खूबसूरत घर मेरा हमने रचा जो प्यार से।
पर बया के घर से सुंदर ये बसेरा भी नहीं।
***
ये करोना नाग सा डसता चला है जिंदगी।
रोक ले इसको यहाँ ऐसा सपेरा भी नहीं।
***
हाथ सभी कामों से पहले हम भले धोते रहें।
वक्त पर मिलता सभी को यम लुटेरा भी नहीं।
***
सुनीता असीम
17/3/2020


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