सुनीता असीम

मेरे प्यार का आसरा हो गए।
हरिक मर्ज की वो दवा हो गए।
***
न आया नज़र रास्ता जब मुझे।
मेरी मंजिलों की सदा हो गए।
***
कभी पास आने को मैंने कहा।
अंगूठा दिखा वो दफा हो गए।
***
वो पहले दिखाते थे नाजो अदा।
जो देखी मुहब्बत फिदा हो गए।
***
बिछाते थे पलकें डगर पे मेरी।
मेरी आशिकी पे फना हो गए।
***
सुनीता असीम
16/3/2020


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