सुनीता असीम

जिन्हें कुछ पास लाया जा रहा है।
उन्हें दिल में बसाया जा रहा है।
***
जरा सा रंग उनको जो लगाया।
कि दिल जोरों से धड़का जा रहा है।
***
बड़े नाराज थे उनसे हुए हम।
मगर अब मन पिघलता जा रहा है।
***
पुरानी हो गई नफरत की बातें।
नया इतिहास लिक्खा जा रहा है।
***
न भाते थे नज़र इक जो कभी भी।
उन्हें अपना बनाया जा रहा है।
***
सुनीता असीम
10/3/2020


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