अपने दिल में मेरा असर रख दे।
सूने उपवन में इक शज़र रख दे।
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कह रहा मन मेरा यही मुझसे।
तेरे कदमों में ये जिगर रख दे।
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कह रहे चाँद से सितारे ये।
रोशनी को इधर उधर रख दे।
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फिर मिलेंगी तुझे सभी खुशियाँ।
सर उसीके ही दर अगर रख दे।
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तब चमकती किसीकी हैं नजरें।
सामने इक नई ख़बर रख दे।
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सुनीता असीम
25/3/2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनीता असीम
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