सुनीता असीम

सभी की फिक्र वाला आदमी हूँ।
न मतलब से भरा सा आदमी हूँ। 
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नहीं रुतबा मेरा तुम तौलना बस।
बड़ा सीधा व  सच्चा आदमी हूँ।
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कोई भी है नहीं मेरा जहाँ में।
रहा इससे मैं तन्हा आदमी हूँ।
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मुहब्बत ही रहे मिट्टी में जिसकी।
मैं ऐसे इक वतन का आदमी हूँ।
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यकीं मुझको नहीं है तोड़ने में।
मैं रिश्ते बस बनाता आदमी हूँ।
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सुनीता असीम
20/3/2020


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