सुरेन्द्र चतुर्वेदी

अभी हौंसला मत छोड़ो,
अपना घौंसला मत छोड़ो।


अपना ज़ाप्ता मत छोड़ो,
कल पे फ़ैसला मत छोड़ो।


बेहतर है के दूर रहो,
रखा फाँसला मत छोड़ो।


जिसके दम पर ज़िन्दा हो,
उसका आसरा मत छोड़ो।


फिर लौटेंगे अच्छे दिन,
अब ये सोचना मत छोड़ो।


तूफ़ानो का मौसम है,
अपना किनारा मत छोड़ो।
         *सुरेन्द्र चतुर्वेदी*


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