हे प्रभू !आप दो.....
हे प्रभू ! कोई प्यार का आलाप दो.
कठिन दौर, भाई -भाई का मिलाप दो.
मेरे मुल्क के लोग बहुत परेशां हैं,
और मत उन्हें कोई संताप ^दो. (दुख, क्लेश )
जो डस सके देश के दुश्मन को,
पल रहे ऐसे आस्तीन के सांप दो.
गलत करने से पहले सौ बार सोचूं,
मेरे बदन में ऐसी कांप दो.
रह -रह के मुठियाँ जोश से भर रही,
है क्रोध बड़ा, मत इतना ताप दो.
पीछे रह जाता हूँ ज़माने की भीड़ में,
"उड़ता "मुझे रफ़्तार औकात सी आप दो.
स्वरचित व मौलिक रचना.
द्वारा -सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
713/16, छावनी झज्जर,
नज़दीक सैनी धर्मशाला,
पिन -124103.हरियाणा.
संपर्क - 9466865227.
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