सुरेंद्र सैनी बवानीवाल       झज्जर (हरियाणा )

कुछ बेखबर.... 


वक़्त ने चली अपनी चालें, 
मैं रहा बेखबर -बेखबर. 
मेरे  हिस्से  का आसमान, 
नहीं हुआ मयस्सर. 
हालात का हिसाब यों, 
होता रहा अकसर -अकसर. 
ख़ुश्क रेगिस्तान दिखा, 
जाती थी जहाँ तक नज़र. 
राहगीर का काम चलना है, 
रात भी नहीं अमर. 
खुद से ही क्यों लड़ता रहा, 
उम्र -ए -तमाम संवेदना -ए -सहर. 
प्यास तो अपनी बड़ी बहुत, 
कुछ नीर -ए -बूँद क्या करती असर. 
कागज़ पर उकेर दो, 
ले शब्दों का खंजर.
कुछ पलों में शांत हो जाओगे "उड़ता ", 
निकल जायेगा सब भीतर से ज्वर. 


✍सुरेंद्र सैनी बवानीवाल 
     झज्जर (हरियाणा )
📱9466865227


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