नहीं बेसबब.....
कुछ भी नहीं होता बेसबब.
ये जानते हैं जन, सब.
दुनिया निराली ही रही,
बदलते रह गए ढब.
हम तो चले शुरुआत से,
कहाँ पहुँचे ना जाने अब.
कितने फासले तय किए,
मंज़िल पर पहुँचोगे कब.
सितारों ने रास्ता दिखलाया,
अटकलों से भरा रहा नभ.
हज़ार मुश्किल आई अकसर,
जब भी बढ़ाया एक पग.
यूं ना सोचो बढ़ो आगे "उड़ता ",
जहान मिलेगा जब बढ़ेंगे डग.
✍️सुरेंद्र सैनी बवानीवाल
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