भरत नायक "बाबूजी" लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*"तोड़ा कौन पहाड़?"*
(कुण्डलिया छंद)
###################
■पाया पालक से सदा, जीवन भर है त्राण।
लेने पर क्यों है तुला? उन देवों के प्राण।।
उन देवों के प्राण, सतत हित सोचा जिनने।
तोड़ा कौन पहाड़? लगा तू कमियाँ गिनने।।
कह नायक करजोरि, भाग निज तुझे खिलाया।
होकर पातक-पोच, सोच क्या तूने पाया??
###################
भरत नायक "बाबूजी"
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
###################


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511