उत्तम मेहता 'उत्तम'

बह्र  २१२२ १२१२ २२
काफ़िया आर
रदीफ़ होता है


ऊंचा जिसका वकार होता है।
बेख़ुदी का शिकार होता है।


हो रही हर तरफ सियासत जब।
किस पे तब एतबार होता है।


खुद मुतासिर वो हुआ मुझसे।
फ़िर तू क्यूं बेकरार होता है।


झुक जाती जब नज़र नज़र से मिल।
तीर तब दिल के पार होता है


धडकने मुखबरी करे दिल की।
इश्क तब दागदार होता है।


साथ हो यार दोस्त जब भी तो।
वक्त वह शानदार होता है।


हौसला आजमा रहा उत्तम।
खुद पे जब इख़्तियार होता है।


©@उत्तम मेहता 'उत्तम'
       ०८/२०


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