*महिला दिवस*
तू ही गंगा तू ही यमुना ,
सीता सावित्री बन आती है ।
तू आती है चंडी बन ,
जग विप्पति जब आती है।
तू ही जननी बन ,
सृजन आधार सजाती है ।
सैगन्ध तेरे आँचल की ,
हर शपथ दिलाती है ।
*नारी* तू ही
*माँ* कहलाती है ।
.... विवेक दुबे"निश्चल"@...
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