यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷       भिलाई दुर्ग छग

🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
       भिलाई दुर्ग छग



विषय🥀 होली🥀



🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂


नारी की कहीं मान नहीं,
गली द्वार लगी बोली है।
शर्म खोये हैं शैतानों,
कैसे कहूँ यश होली है।।


🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃


सरहद में सेना को देखो,
पीठ में चलती गोली है।
जब तक मरे नहीं आतंकी
कैसे कहूँ यश होली है।।


🦑🦑🦑🦑🦑🦑🦑🦑


काट रहें हैं पेड़-पौधे,
तरसी दुल्हन को डोली है।
लाश चीता को तरस रही,
कैसे कहूँ यश होली है।।


🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥


ब्यर्थ पानी बहा रहे हैं,
प्यासों की खाली झोली है।
संचय नीर के करें नहीं,
कैसे कहूँ यश होली है।।


💦💦💦💦💦💦💦💦


बैर घृणा है दुनिया में,
प्यार की कहाँ ठिठोली है।
है नफरत जात-पात ऊंच-नीच,
कैसे कहूँ यश होली है।।


😡😡😡😡😡😡😡😡


मांग में सिंदूर है नहीं,
नहीं माथ भरी रोरी है।
टांग दिख रहे फटे वस्त्र,
कैसे कहूँ यश होली है।।


💃💃💃💃💃💃💃💃


दारू गांजा नशा खातिर,
कतार में लगी ठोली है।
देकर दूध गाय मर रही,
कैसे कहूँ यश होली है।।


🐄🐄🐄🐄🐄🐄🐄🐄


गाड़ी फटाके खान धूआँ,
बनकर उड़ी रंगोली है।
साँस खरीद कर जीते लोग,
कैसे कहूँ यश होली है।।


💨💨💨💨💨💨💨💨



🌷यशवंत"यश"सूर्यवंशी🌷
      भिलाई दुर्ग छग


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