नरेश मलिक

दोस्तो, मेरी कही एक ग़ज़ल का लुत्फ़ लीजिएl उम्मीद है आपको पसंद आयेगी - - - ---


वो  मेरे  ख्वाब  में  आते  जाते  रहे,
याद अपनी वो मुझको  दिलाते रहेl


नींद में, ख्वाब  में, भूल  जाऊं  न  मैं, 
अक्स अपना वो हर पल दिखाते रहेl


साथ मेरे है वो हर कठिन दौर में,
ज़हन में आ के वो ये बताते रहेl


आइने में भी वो अब तो दिखने लगे,
ये  पता  था  मगर  हम छुपाते  रहेl


मैंने पूछा कि क्यों ख़्वाब में आए तुम
कुछ न  बोले  वो, बस  मुस्कुराते  रहेl


हार कर एक दिन उसने ये कह दिया,
हम  मलिक  हैं  तुम्हारे  जताते  रहेl


- - आपका मित्र नरेश मलिक
Copyright@naresh malik


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...