तुमको मैं निज उर से लगाऊं
विधि लिखा मैं मेट ना पाऊं
नयनो से नित नीर बहाऊ
जग की हालत बड़ी विकट है
तुम पर ही निज अंबुधि लुटाओ
आ मेरे लाल तू पास मेरे
तुमको मैं निज उर से लगाऊं
विपदा काल विकट है आई
दुनिया बन गई कैसी कसाई
सोच रही है मन में माई
मैं आज अन्न कहां से लाऊं
आ मेरे लाल तू पास मेरे
तुमको मैं निज उर से लगाऊं
अश्क व्यर्थ में तुम ना बहाना
बनकर तू धीर गंभीर
अपनी मां का मान बढ़ाना
ऐसी आशीष तुझे दे जाऊं
आ मेरे लाल तू पास मेरे
तुमको मैं निज उर से लगाऊं
आचार्य गोपाल जी
उर्फ
आजाद अकेला बरबीघा वाले
प्लस टू उच्च विद्यालय बरबीघा शेखपुरा बिहार
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें