क्षणिकाएँ
-------------
1) क्षण
-----
जीने के लिए कुछ क्षण भी काफी है
चींटियों को मिलता जीवन छोटा
पर जीने की आस में जुटाती
रहती खाने का सामान है ।
2) सूर्य
------
सूर्य के निकलते ही
भरोसा होता आज का
और उसके डूबते ही
एहसास होता आने वाले
कल का ।
3) छाया
--------
पथिक को मिलती छांव
पेड़ की जब ,वह विश्राम पाता
जीवन का सच्चा सुख
तभी छाया में नजर आता ।
4) शाम
-------
जीवन की शाम आते ही
जिंदगी बचपन की यादों
में खो जाती
चूल्हे की रोटी और माँ
बहुत याद आती ।
5) चाँदनी
- - -------
चाँद के निकलते ही
चाँदनी धरती पर बिखर जाती
नौका विहार करते लोग
नाविक के चेहरे पर चाँदनी खिल जाती ।
6)आकाश
----------
फैला नीला वितान है
छूना सब को आसमान है
अपनी -अपनी मंजिल सबकी
आकाश ही सपनों का जहान है।
7) धरती
---------
खामोश हो सब कुछ सहती
आंचल में सभी को भरती
जब सह न पाती दर्द अधिक
भूकंप मचा देती धरती ।
*आभा दवे*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें