आभा दवे

क्षणिकाएँ
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1) क्षण
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जीने के लिए कुछ क्षण भी काफी है
चींटियों को मिलता  जीवन छोटा 
 पर जीने की आस में जुटाती 
रहती खाने का  सामान  है ।                   


2) सूर्य
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सूर्य के निकलते ही
भरोसा होता आज का
और उसके डूबते ही    
एहसास होता आने वाले 
कल का ।


3) छाया 
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पथिक  को मिलती छांव
पेड़ की जब ,वह विश्राम पाता
जीवन का सच्चा सुख  
तभी छाया में नजर आता ।


4) शाम
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    जीवन की शाम आते ही
    जिंदगी बचपन की यादों  
    में खो जाती
   चूल्हे की रोटी और माँ
   बहुत याद आती ।


5) चाँदनी
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चाँद के निकलते ही
चाँदनी धरती पर बिखर जाती 
नौका विहार करते लोग
नाविक के चेहरे पर चाँदनी खिल जाती ।


6)आकाश
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फैला नीला वितान है
छूना सब को आसमान है
अपनी -अपनी मंजिल सबकी
आकाश ही सपनों का जहान है।


7) धरती
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खामोश हो सब कुछ सहती
आंचल में  सभी को भरती 
जब सह न पाती दर्द  अधिक 
भूकंप मचा देती धरती ।



*आभा दवे*


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