आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले

हनुमत लाला


हे  हनुमत लाला वदन विशाला
मेरी सुन तू ओ जग रखवाला
हम तो आए शरण तिहारे
तुम विन है अब कौन हमारे
बीच भंवर में पड़ी है नैया
पतवार नहीं ना कोई खेवैया
बनके मांझी कराहु निहाला
 हे  हनुमत लाला वदन विशाला
मेरी सुन तू ओ जग रखवाला


सीता सुधि तुम ने ही लायो
लक्ष्मण के भी प्राण बचायो
अहिरावण के मार भगायो
सोने की लंका तुमने जरायो
सबके तू कष्ट मिटाने वाला
 हे  हनुमत लाला वदन विशाला
मेरी सुन तू ओ जग रखवाला


अंजनि सुत हे मारुति नंदन
पवन पुत्र तू है दुख भंजन
संत सहाय असुर निकंदन
आजाद तुम्हारा करता बंदन
 अकेला कलयुग का रखवाला
 हे  हनुमत लाला वदन विशाला
मेरी सुन तू ओ जग रखवाला


जनक नंदिनी के मन को भायो
अष्ट सिद्धि तू नव निधि को पायो
भीड़ पड़ी  जब-जब यहां भारी
तुमने ही तब जग को उबारी
फिर से आकर करहु निहाला
 हे  हनुमत लाला वदन विशाला
मेरी सुन तू ओ जग रखवाला


अपने जन है कष्ट में तेरे
तू कब आओगे घर में मेरे
हम सब हैं शरण में तेरे
तुम बिन कष्ट हारे ना मेरे
अब तो आओ ओ मतवाला
 हे  हनुमत लाला वदन विशाला
मेरी सुन तू ओ जग रखवाला


आचार्य गोपाल जी 
        उर्फ 
आजाद अकेला बरबीघा वाले
 प्लस टू उच्च विद्यालय बरबीघा शेखपुरा बिहार


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