आलोक मित्तल *

--------- ग़ज़ल-------------


वो अकेला है मालिक यहाँ,
====================


दिल में मेरे ख़ुशी है तो है,
वो मेरी ज़िंदगी है तो है !
-
हर शिकायत उन्हें प्यार में,
अब दिखी जो कमी है तो है !
-
वो अकेला है मालिक यहाँ,
उसकी गर बंदगी है तो हैं !!
-
बात दिल में छुपाई सभी,
आँख में गर नमी है तो है !
-
है जवां दिल मेरा आज भी,
जिन्दा है आशिकी है तो है !
-
इक मुलाकात काफी नहीं,
वो अभी अजनबी है तो !
-
दोस्त में है बुराई तो क्या 
मेरी भी दोस्ती है तो है !
--
** आलोक मित्तल **


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...