आशुकवि नीरज अवस्थी


श्री हनुमान जयंती
श्री राम दूत हनुमान महा प्रभु तेरी जैजैकार करूँ।
सुबह जन्मदिवस अंजनी पुत्र की पूजा बारम्बार करूं।
मंदिर में तेल चमेली का सिंदूर मिला चोला अर्पित,
करके आरति कर्पूर युक्त निज जीवन का उद्धार करूँ।।
आशुकवि नीरज अवस्थी


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...