"महावीर और हम"
आज भगवान महावीर की कमी तब बहुत खलती है, जब हम अपने चारों ओर देखते हैं और बड़ी तादाद में हिंसा और व्यभिचार का माहौल पाते हैं।
मानव जीवन में झूठ बोलना, किसी का दिल दुखाना, किसी व्यक्ति से ईष्या भाव रखना बहुत आम बात कही जाती है।
पर यही आम बात हम इंसानों के जीवन पर अच्छा-खासा प्रभाव डालती है।
जब बढ़ती हुई तृष्णा व्यक्ति को सुकून से बैठने नहीं देती,हर क्षण हमारा जीवन मोह-माया में फंसा रहता है।
बिना अच्छा-बुरा सोचे हम निरंतर एक ऐसी दिशा में जा रहें हैं, जहां केवल निराशा, अकेलापन और असंतुष्टि है, वहीं यदि हम भगवान महावीर के संदेशों को समझें तो निश्चित तौर पर एक खुशहाल और खूबसूरत जीवन जी सकते हैं।
महावीर के सत्य, ब्रह्मचार्य, अहिंसा, अपरिग्रह,अस्तेय के सिद्धांत और उनका दिया गया प्यारा सा संदेश"जियो और जीने दो"को हम आत्मसात कर लें तो सच में हमारे जीवन और हमारी दुनिया में सदा प्रेम, शांति, परस्पर सहयोग, भाईचारा और सदाचार के गुण सदा विद्यमान रहेंगे।
जय जिनेन्द्र🙏🙏🙏
😊अंकिता जैन'अवनी'😊
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
अंकिता जैन'अवनी अशोकनगर
Featured Post
दयानन्द त्रिपाठी निराला
पहले मन के रावण को मारो....... भले राम ने विजय है पायी, तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम रहे हैं पात्र सभी अब, लगे...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें