अर्चना पाठक 'निरंतर'

कुंडलियाँ
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विषय - श्री राम


सीता पति श्रीराम है, घट घट करते वास ।
जन्म सफल होगा तभी, सुमिरन से हैं पास।।
सुमिरन से हैं पास, आस कब वो हैं तोड़े ।
स्वयं बना लो खास, रास जीवन से जोड़े ।।
उर में जाएँ डूब ,भक्ति का पट है रीता।
सबके प्रभु श्री राम, नाम आनंदित सीता ।।



 कैसी लीला आपकी, जग में है विस्तार।
 अपने घर में कैद है, बंद हुआ निस्तार।।
 बंद हुआ निस्तार,गजब सन्नाटा छाया।
 अंदर हाहाकार, मचा अति भय का साया ।।
 बैठो अपने नीड़, करो कुछ रचना ऐसी।
 भा जाए प्रभु राम, कृपा मिलती है कैसी।।


अर्चना पाठक 'निरंतर'


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