मुक्तक
किसी अहसान के बदले मुझे कब तक सताओगी।
जमाने से कभी क्या तुम मुझे अपना बताओगी।
फ़क़त रुसवाइयाँ हमको मिली हर बार तुमसे ही।
न जाने कब तलक मुझसे फ़रेबी हक़ जताओगी।
अवनीश त्रिवेदी"अभय"
एक मुक्तक
शहीदों की इबादत मे कभी जब गीत लिखता हूँ।
सुशोभित काव्य होता हैं तभी मनमीत लिखता हूँ।
लड़े जो हर समय ताकत दिखाई जान देकर भी।
सभी रणबांकुरों की वीरगाथा जीत लिखता हूँ।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
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