मुक्त छंद गीत
घर मे आओ दीप जलाएं।
रोशनी की खुशियाँ फैलाएं।
रहे हमेशा घर के अंदर।
तभी बनेगा उपवन सुंदर।
जीवन के सन्ताप मिटेंगे।
बना रहे ये उच्च पुरंदर।
तन मन को हर्षित कर जाएं।
घर मे आओ दीप जलाएं।
हुआ अंधेरा धैर्य न छोड़ो।
हर तूफाँ को वापस मोड़ो।
जो भी आये पथ बाधक।
उसको तुम बिल्कुल तोड़ो।
मिलकर ये संकल्प उठाएं।
घर मे आओ दीप जलाएं।
कठिन दौर से मत घबराओ।
मन को ऐसे मत भरमाओं।
जहाँ चाह हैं वहीं राह हैं।
कुछ करने में मत शर्माओ।
जीवन को खुद सरल बनाएं।
घर में आओ दीप जलाएं।
रात के बाद दिन खिलता है।
जैसा करोंगे वैसा मिलता हैं।
निडर व्यक्ति हर संकट में भी,
अपने पथ से न हिलता हैं।
हम भी आगे बढ़ते जाएं।
घर में आओ दीप जलाएं।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
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