नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर सम्पादक काव्यरंगोली

2--कोरोना को हराना है----दहसत में है दुनियां ,दहल गई है दुनीयाँ ,बदल गई दुनियां,     दुनियां के  व्यवहार है।। 


                  
सड़के ,गलियां और मोहल्ले     होने लगे वीरान रौनक बाज़ारों की  गायब कोरोना का हाहाकार।।   


                   एक दूजे रखना दुरी है मजबूरी, बंद हुआ  हाथ गले  मिलने  की संस्कृति संस्कार।।    



                    खांसी सुखी तेज बुखार सांसो को परेशानी समझो  दस्तक दे रहे यमराज।। 


                         
 कहर यही कोरोना है अब तक नहीं इलाज़ ।।   


               धन्वन्तरि भी पिट रहे है माथा सूझे नहीं कोई नुख्सा उपाय ।।                          


    वैद्य सुखेंन भी सांसत में ना कोइ मूर्छा ना कोई शक्ति वाण।।


 कोरोना ऐसी आफत है सूखे जान जाय।।                          


हम है भारत वासी हमारे भाग्य है भगवान ।।                     


 हम सब लड़ना और निखरना जीवन जीने का अलग अंदाज़।।    
                    आओ सब मिलकर कोरोना को कहे बाय।। 


                        
 आँख,नाक  ना छुएं बारम्बार पश्चात का फैसन हाथ मिलाना त्यगेंगे हम सब भारत वासी नमस्कार का सुबह शाम दिन रात।।                  
                नाक  ढ़केंगे मुहँ ढ़केंगे स्वच्छ पर्यावरण का करेंगे सत्कार ।।                         



   हाथ स्वछ रखेंगे कोरोना को बतलायेंगे औकात।।                   


 ललकारा है  दस्तक देकर कोरोना ने कर देंगे कोरोना को परास्त।।                         


 कोरोना का क्या है रोना ,कोरोना को ही है रोना  विश्व विजेता होकर भी भारत में जायेगा हार।।            


 हमने दुनियां को दिखलाई है हर दहसत में नई राह ।।              


       जागृत हर भारत वासी होगा  कोरोना होगा साफ़ ।।          


दहसत का दंश अंश मिटेगा ना होगा हाहाकार।।                   


उठो संग अब लड़ते है कोरोना से बिना किसी हथियार।।              


 हम है भारत वासी हमारी जीवन शैली संस्कृति संस्कार कोरोना की आफत से लड़ने की शक्ति और हथियार।।                          


  नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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