चंचल पाण्डेय 'चरित्र'

*••••••••••••सुप्रभातम्•••••••••••••*
         *मनहरन घनाक्षरी छंद*
श्याम सरकार कर नाव भव पार तार|
                   कब से फँसा हूँ प्रभू बीच मँझधार में||
अब न अबार कर कृपा यक  बार कर|
                     सब कुछ छोड़कर आया तेरे द्वार में||
धूरि छायी अँधियार चहुँदिशि हाहाकार|
                       कोरोना के ताप आजुँ बढ़ा संसार में||
काटिये सभी वो फंद घनश्याम नंदनंद|
                       बाधक बने है जो भी सृष्टि के विस्तार में||
                  चंचल पाण्डेय 'चरित्र'


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