*••••••••••••सुप्रभातम्•••••••••••••*
*मनहरन घनाक्षरी छंद*
श्याम सरकार कर नाव भव पार तार|
कब से फँसा हूँ प्रभू बीच मँझधार में||
अब न अबार कर कृपा यक बार कर|
सब कुछ छोड़कर आया तेरे द्वार में||
धूरि छायी अँधियार चहुँदिशि हाहाकार|
कोरोना के ताप आजुँ बढ़ा संसार में||
काटिये सभी वो फंद घनश्याम नंदनंद|
बाधक बने है जो भी सृष्टि के विस्तार में||
चंचल पाण्डेय 'चरित्र'
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
चंचल पाण्डेय 'चरित्र'
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