बैठे बैठे.......
मिली हमसे जिंदगी हमारी कभी
बिछड़ के हमसे उन्हें मिला क्या पूछेंगे
रुसवाई सरे बाजार हमारी हुई
पर्दे में रह कर उन्हें मिला क्या पूछेंगे
ना पूछ हाल ए दिल हमसे ए जिंदगी
हम क्यों न किसी के हो सके क्या पूछेंगे
थे कई सवाल जुबां और ज़हन में मेरे भी
खामोश क्यों रहे हर मर्तबा क्या पूछेंगे
शिकवा ना शिकायत है कोई
दिल में हमारे
तोड़ के दिल मासूमों का मिला क्या पूछेंगे ।
डा.नीलम
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