देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"

................टूटे ख्वाब...................


कैसे   कटेगी  जिंदगी , बिन  तुम्हारे  ।
अब जीना पड़ेगा , ख्वाबों  के सहारे।।


अब तक थे ख्वाब , दिल  से अज़ीज़ ;
अब  पड़  गई  है  , दिल  में   दरारें  ।।


दिल था किसीका ,आज अपना हुआ;
लूट गई है  फ़िज़ां से , मन की बहारें।।


मन की व्याकुलता , की हद  हो  गई ;
खामोशी  ओढ़   ली , चन्दा-सितारे ।।


जिंदगी हुई तबाह,आरज़ू हुए खामोश;
मौसम-ए-खिज़ा , ये करती है इशारे।।


उल्फ़त की जहाँ से, हुए जब रुसवा ;
अब ख़ुदा ही,बिगड़ी तक़दीर सँवारे।।


लौट  आ  तू  मेरे , उजड़े   चमन  में  ;
गले  लगाने  बैठा  हूँ , बाहें  पसारे  ।।


खिज़ां की जगह,आएगी बहार कभी;
पड़ा दर पे"आनंद",उम्मीद के सहारे।।


-------देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


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