"श्री सरस्वती अर्चनामृतम"
सुखदा शुभदा दिव्य ज्ञानदा।
सकल मनोरथ पूर्ण कामदा।।
ध्यानी ध्यान धन्य धान्य धन।
धर्मशालिनी धैर्य धाम मन।।
परम विशिष्ट स्वतंत्र समाख्या।
ज्ञान रत्न सम्मोहक व्याख्या।।
अति पवित्र मानस सुविवेकी।
बुद्धि प्रदात्री कृतिमय नेकी।।
अति सुन्दर सुकुमारी विद्या।
परम दयानिधि शिवा सी आद्या।।
अर्थ अनन्त अतुल्य अनामय।
अज अदृश्य अद्भुत अकाममय।।
ज्ञान अथाह समुद्र अनन्ता।
सर्वोपरि सत्यम भगवन्ता।।
कामविनाशिनी धर्माचारी।
साध्वी शिव विवेक आचारी।।
नयन नीर पीर हर्ता हो।
कामधेनु सदृश भर्ता हो।।
वरदानी बन आ माँ उर में।
ले उच्चासन अन्तःपुर में।।
हंसवाहिनी पुस्तकधारिणी।
विघ्नविनाशिनी बन कल्याणी।।
वर दे वर दे वरद शारदे।
शुभ ज्ञानामृतमय नित घर दे।।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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