"धर्मदर्शन संघ काशी"
(वीर छंद)
कितना सुन्दर है यह नाम, चैत रामनवमी को जन्मा.,
जिस दिन जन्में श्री रघुनाथ, उसी शुभ मुहुर्त में यह आया.,
करने को जन का कल्याण, यह धार्मिक -दार्शनिक संगठन.,
जहाँ धर्म दर्शन का मेल, वह अति पावन तीर्थ क्षेत्र है.,
यह प्रयागराज का देश, मोक्षप्रदाता यह प्रिय शुचिकर.,
रचनाएँ होतीं अनमोल,एक-एक से कलमकार हैं.,
सभी दार्शनिक ऊँची ख्याल, रखनेवाले यहाँ खड़े हैं.,
सबके सुन्दर स्वच्छ विचार, पावन मेघ बने सब बरसत.,
सबके दिल में नेक विचार, धर्म धुरंधर एक एक से.,
चाह रहे सब हो संसार, स्वर्ग सदृश अति रघुमय शिवमय.,
सबमें हो अतिशय उत्साह, लिये लेखनी धर्म उकेरें.,
सबमें छाया रहे उमंग, सदा दार्शनिक गंग बहे नित.,
भीतर बाहर स्वच्छ समाज, दॄश्यमान हो इस पृथ्वी पर.,
धर्म और दर्शन का विश्व, कितना प्यारा सुघर सलोना.,
डॉक्टर पाण्डेय जी आशीष, के दर्शन की पृष्ठभूमि यह.,
प्रथम उन्हीं का यह उद्घोष,अति प्रिय दृढ़ संकल्प उन्हीं का.,
डॉक्टर नाथ मिश्र हरि नाथ, का यह पावन मंच ज्ञानमय.,
डॉक्टर सम्पूर्णानन्द मिश्र, डॉक्टर नित्यानन्द मिश्र अरु.,
डॉक्टर आद्या प्रसाद मिश्र, एक-एक से ज्ञानीजन हैं.,
सभी विलक्षण सब विद्वान, एक एक से बढ़ चढ़कर सब.,
सब रुचिकर अति मधुर बयार, सदा बहाने को अति विह्वल.,
काशी का यह पटल महान, कर में धर्म-दर्शन का ध्वज ले.,
फहराएगा चारोंओर,अति अनन्त आकाश -गंग तक.,
रहत जहाँ अति शुचिता भाव, वहीं धर्मदर्शन की नगरी.,
इस नगरी में रहते लोग, लोकातीत मूल्य रक्षक जो.,
सबके शुद्ध पवित्र विचार, अंतस में बहतीं नित गंगा.,
मंद-मंद मीठी मुस्कान, लिये थिरकाते सकल नागरिक.,
यह देवों-देवियों का देश, हरिहरपुर है नाम इसी का.,
हरिहरपुर है स्वर्ग समान, धर्म और दर्शन की खेती.,
यही पटल है सुन्दर मंच, आओ बोयें बीज सुन्दरम।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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