डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"अनुशासन"


यदि स्वतः अनुशासन हो तो
प्रशासन का कोई अर्थ नहीं रह जातेगा,
बाह्य बल व्यर्थ हो जातेगा।
अनुशासन ही सबसे बड़ा धर्म है,
जीवन का सच्चा मर्म है,
यह गर्मजोश है,
सर्वोत्तम होश है,
प्रगति के लिये वांछित है,
स्वयं प्रकाशित है।
अनुशासनहीन जीवन अनर्थकारी होता है,
अत्याचारी व व्यभिचारी होता है।
अनुशासन महान सफलता की कुंजी है
जीवन की असली पूँजी है।
अनुशासन जीवन का सबसे बड़ा पर्व है,
मानव अस्मिता का सौन्दर्य है।
जीवन का तीर्थ है,
सच्चा मित्र है।
यह सदा लाभदायक है,
जन नायक है।
यह सार्वभौमिकता को आत्मसात करता है,
मानवीय दुर्वलताओं पर आघात करता है।
जो इसे नहीं मानता है
वह निरा जड़ है,
दूषित कण है।
अनुशासन को महत्व दें,
नियमों का अनुगमन करें,
सम्मानित जीवन का वरण करें।
सौहार्द का वातावरण बनायें,
सुन्दर सहज सुविधाजनक शीतल छायादार वृक्ष उगायें।


रचनाकार:


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


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