"छोड़ दूँ संसार..."
छोड़ दूँ संसार यदि तू प्यार कर,
छोड़ दूँ परिवार यदि तू प्यार कर,
है रखा क्या जिन्दगी में ये बता,
छोड़ दूँ घर-द्वार यदि तू प्यार कर।
प्यार करना भी गलत है क्या प्रिये?
प्यार का मकसद समझना क्या बुरा?
प्यार बिन इस जिन्दगी का अर्थ क्या?
प्यार का मतलब समझ कुछ सीखकर।
प्यार हो तो जिन्दगी भी पार है,
प्यार बिन यह जिन्दगी दुश्वार है.
प्यार के भावार्थ में है रस छिपा,
प्यार में निःस्वार्थ ही स्वीकार है।
प्यार करना सीखना है आप से,
शिष्य बनकर जानना है आप से,
गुरु बने उपदेश दें बस प्यार के.
प्यार के निहितार्थ को बस आप से।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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