डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"है शरीर यह प्रबल सहायक"


              (वीर छंद)


सदा स्वास्थ्य का रखना ख्याल, बिना स्वास्थ्य सबकुछ सूना है.,
करते रहना नित व्यायाम, हो अति नियमित नित दिनचर्या.,
समय से सोना समय से जाग, समय से सारा काम नित्य का.,
पुरुषार्थों में कर विश्वास, धर्म अर्थ में रहे संतुलन.,
जहाँ संतुलन वही है स्वास्थ्य, जीने की यह सुखद व्यवस्था.,
वर्ण व्यवस्था का सम्मान, होते रहना सदा चाहिये.,
ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य अरु शूद्र, सभी इकाई हैं समाज के.,
नहीं किसी से हो परहेज, प्रेम-मित्रता रहे परस्पर.,
किसी को छोटा कभी न जान, सब ईश्वर के सहज रूप हैं.,
सबमें ईश्वर को ही देख,आत्मवाद का मंत्र जगाओ.,
सकल विश्व को समझो राम, सकल जगत तब अवधपुरी है.,
राम नाम का हो नित जाप, हो कर खड़ा अयोध्या देखो.,
तन मन को नित रखना स्वस्थ, यही अस्त्र हैं प्रिय योधा के.,
नहीं रहोगे जबतक स्वस्थ, कर पाओगे काम नहीं कुछ.,
इसीलिए कहता हूँ मित्र, समझ स्वास्थ्य को महा उपकरण.,
देह-स्वास्थ्य पर रखना ध्यान, यदि देही से मिलना हो तो.,
रहो स्वस्थ देही में बैठ, अलख जगाओ राम नाम की.,
धूम मचाओ चारोंओर, गाओ नाचो कूद-फांद कर.,
बना परिन्दा उड़ आकाश, सकल कल्पना लोक घूम प्रिय.,
नहीं राह में है व्यवधान, दृढ़ संकल्प अगर है मन में.,
अभी लगाओ ऊँची कूद, इधर-उधर कुछ भी मत सोचो.,
बहु रूपों में तुम्हीं महान, रूप ग्रहण कर जैसा चाहो.,
सभी रूप रामा के रूप, यही सत्य है यह अमर्त्य है।


रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


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