"श्री हनुमान जयंती"
जय श्री राम भक्त हनुमंता।
अति पावन महान प्रिय सन्ता।।
एक इष्ट देव श्री रामा।
उन्हें छोड़ दूजा नहिं नामा।।
आजीवन बस राम काज नित।
राम हेतु जगती में नियमित।।
एक काम बस रघु पद पूजा।
और अमान्य काज सब दूजा।।
परम ब्रह्मचारी रघुमय हो।
रघु उपकारी सिद्ध अमय हो।।
माँ सीता के तुम सपूत हो।
रामाश्रय प्रिय रामदूत हो।।
लंका जला दिया क्षण भर में।
सीता अन्वेषण पल भर में।।
तेरे हिय नित सितारामा।
अचल भाव प्रेम निष्कामा ।।
रामभक्त बस एक तुम्हीं हो।
वरद राम आसक्त तुम्हीं हो।।
बुद्धिविनायक महावीर हो ।
सहज सरल गंभीर धीर हो।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
विद्या सिन्धु विनम्र विधाता ।।
जय हो जय हो महाबला की।
पवन तनय अंजना लला की ।।
कष्ट मिटाओ हे प्रिय हनुमन।
महा शक्तिमान हे श्रीमन।।
भव वाधा को शीघ्र मिटाओ।
हे हनुमान ईश अब आओ।।
विपदाओं से मुक्ति दिलाओ।
संकटमोचन बन छा जाओ।।
जय जय जय हो सदा विजय हो।
राम हितैषी हनु अक्षय हों।।
रचनाकार:
डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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