डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

"आज हम जिन्दगी से जंग लड़ रहे हैं"


आज हम जिन्दगी से जंग लड़ रहे हैं,
कल हम निश्चितरूप से जीत कर रहेंगे।


जंग हमारी जारी रहेगी,
जंग की कला न्यारी रहेगी,
हम आगे बढ़ते रहेंगे,
उम्मीदें तरो-ताजी रहेंगी।


जीतना ही लक्ष्य है,
नीतियाँ सुस्पष्ट हैं,
हम हार कर भी जीतेंगे,
अपना इतिहास लिखेंगे।


हम घोर आशावादी हैं,
प्रकार्यवाद के वादी हैं,
हमारा कोई कुछ नहीं विगाड़ सकता,
चेतना की आजादी हैं।


मैंने  तो बहुत कुछ देखा है,
बहुत कुछ सहा है,
हँसा औऱ रोया है,
पाया और गंवाया है,
कभी निश्चिन्त तो कभी पछताया है।


आज हम चेतना के द्वार पर खड़े हैं,
सब में प्राण के मंत्र फूंक रहेंगे,
फिर हम क्यों हारेंगे,
विजय के गीत गायेंगे।


जब हम नादान थे,
अंजान थे,
तब कुछ नहीं पता था,
अच्छा भी बुरा लगता था,
आज तो शुभ ज्ञान है,
शिवत्व का अरमान है,
पूरा संसार मीत है,
मधुर अभिनीत है,
हार में भी जीत का अहसास होगा,
सुन्दर सा सपना साकार होगा।


हम लड़ेंगे,
लड़ते रहेंगे,
स्वयं से,
जिन्दगी की रुबाइयों से,
एक तनहा तनहाइयों से,
जिन्दगी मिलेगी,
दुलहन बनकर खिलेगी,
आनन्द की अनुभूति होगी,
प्रीति की प्रसूति होगी।


हम लड़कर अपना निर्माण करें,
विश्व का कल्याण करें,
यही मिशन हो,
सूक्तियों का कोटेशन हो।


रचनाकार:


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...